नहीं था ज़ोर उसकी सितम नवाज़ियों का,
पर मुझे भी हौसले मेरे खुदा से मिले,
कहा था मेरे दिल ने बार बार मुझे,
ए दोस्त,वो महोब्बत ही क्या जो जान लुटा के मिले..
पर मुझे भी हौसले मेरे खुदा से मिले,
कहा था मेरे दिल ने बार बार मुझे,
ए दोस्त,वो महोब्बत ही क्या जो जान लुटा के मिले..
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