ग़मों को आबरू अपनी ख़ुशी को गम
समझते हैं ,
जिन्हें कोई नहीं समझा उन्हें बस हम समझते
हैं.
कशिश ज़िन्दा है अपनी चाहतों में जान ए
जाँ क्यूँकी ,
हमें तुम कम समझती हो तुम्हें हम कम समझते
हैं .
Thursday, June 5, 2014
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