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Saturday, February 1, 2014

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तेरे हाथ की

तेरे हाथ की काश मैं वो लकीर बन जाऊं;
काश मैं तेरा मुक़द्दर तेरी तक़दीर बन जाऊं;
मैं तुम्हें इतना चाहूँ कि तुम भूल जाओ हर रिश्ता;
सिर्फ मैं ही तुम्हारे हर रिश्ते की तस्वीर बन जाऊं;
तुम आँखें बंद करो तो आऊं मैं ही नज़र;
इस तरह मैं तुम्हारे हर ख्वाब की ताबीर बन जाऊं!

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