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Sunday, February 2, 2014

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बहुत लड़खड़ाए

बहुत लड़खड़ाए कदम. मगर हम बहके नही...
फिर भी, लोग हम्हे संभला हुआ कहते नही...
कितनी दफा खिले हम, कितनी दफा मुरझाये;
ऐसे फूल है हम जो किसी को कभी महके नही...'

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