अभी वाकिफ़ ही कहाँ है लोग हमारे उड़ान से वो और थे जो बह गए तूफ़ान में
की मोहब्बत तो सियासत का चलन छोड़ दिया,
हम अगर प्यार न करते तो हुकूमत करते।
हम जैसा बनने की कोशिश छोड़ दो, शेर पैदा होते हैं …. बनाए नहीं जाते
मिज़ाज में थोड़ी सख्ती लाज़िमी है हुज़ूर,
लोग पी जाते समंदर अगर खारा न होता।
मेरी सादगी ही गुमनाम में रखती है मुझे,
जरा सा बिगड़ जाऊं तो मशहूर हो जाऊं।
जो मेरे मुकद्दर में है वो खुद चल कर आएगा, जो नहीं है उसे अपना खौफ लाएगा
सोच बदलो, शख़्सियत बदलते देर ना लगेगी
रास्ते मुश्किल है पर हम मंज़िल ज़रूर पायेंगे ये जो किस्मत अकड़ कर बैठी है इसे भी ज़रूर हरायेंगे
दिल जीतने के लिए साजिशों की ज़रुरत नहीं पड़ती
तुम बहते पानी से हो हर शक्ल में ढल जाते हो,
मैं रेत सा हूँ मुझसे कच्चे घर भी नहीं बनते।
बस दीवानगी की खातिर तेरी गली मे आते हैं,
वरना आवारगी के लिए तो सारा शहर पड़ा है।
वो ही लोग चिढ़ते है जो आपकी बराबरी नहीं कर पाते
शेरों से सीखा है खामोश रह कर शिकार करना, क्यूंकि दहाड़ मार कर शेर कभी शिकार नहीं करता
दिल है कदमों पे किसी के सर झुका हो या न हो,
बंदगी तो अपनी फ़ितरत है ख़ुदा हो या न हो।
सहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारी,
हम अकेले पूरी महफ़िल के बराबर हैं।
हम भी बरगद के दरख़्तों की तरह हैं,
जहाँ दिल लग जाए वहाँ ताउम्र खड़े रहते हैं।
थोड़ी खुद्दारी भी लाजिमी थी दोस्तो,
उसने हाथ छुड़ाया तो हमने छोड़ दिया।
मैं लोगों से मुलाकातों के लम्हें याद रखता हूँ,
बातें भूल भी जाऊं पर लहजे याद रखता हूँ।
छोड़ दी है अब हमने वो फनकारी वरना,
तुझ जैसे हसीन तो हम कलम से बना देते थे।
एहसान ये रहा तोहमत लगाने वालों का मुझ पर,
उठती उँगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया।
मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदल के देख,
मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकल के देख।
लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ,
सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे।
शब्द नहीं लहजा होता है जो चुभता है
हाथ की लकीरों पर नहीं, हाथ की लकीरें बनाने वाले पर भरोसा करो
लोग तो सच्चा प्यार भूल जाते हैं, मुझसे उसका झूठा प्यार नहीं भुलाया जा रहा
हमको मिटा सके यह ज़माने में दम नहीं,
हमसे ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं।
न मैं गिरा और न मेरी उम्मीदों के मीनार गिरे,
पर कुछ लोग मुझे गिराने में कई बार गिरे।
अजीब सी आदत और गज़ब की फितरत है मेरी,
मोहब्बत हो कि नफरत हो बहुत शिद्दत से करता हूँ।
बोलने से ज्यादा अच्छा मैं लिखती हूँ
अपनी किस्मत खुद ही लिखनी पड़ेगी ये कोई चिट्ठी नहीं है जो दूसरों से लिखवा लोगे
परख ना सकोगे ऐसी शख्सियत है मेरी, मैं उन्हीं के लिए हूँ जो जाने कदर मेरी
आजकल ज़माने के साथ चलने के लिए चेहरे बदलने का हुनर ज़रूर आना चाहिए
सुना है लोग इश्क़ में जान दे देते हैं, जो अपना वक़्त नहीं देता वो जान क्या देगा
ज़िन्दगी में जितने अच्छे बनोगे, उतने ही घटिया लोग मिलेंगे
समंदर बहा देने का जिगर तो रखते हैं लेकिन,
हमें आशिकी की नुमाइश की आदत नहीं है दोस्त।
मंजूर है वो डगर जहां attitude से हो सफर
दुश्मन इतनी आसानी से नहीं बनते बहुत लोगों का भला करना पड़ता है
कोई भी हमें पहचान नहीं पाया कुछ अंधे थे कुछ अँधेरे में थे
जितना मर्जी Attitude दिखा लो मेरा गरूर खतम करने के लिए तुम जैसे 3600 भी कम है
ज़हर दे दो सीधा-सीधा किसी को पर झूठी आस मत दो
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