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Thursday, June 5, 2014

चाँद का क्या

चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली,
कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली,
उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे,
शायद हमारी तकदीर
ही हमसे खफा निकली.

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