मत पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक है ...
तू सितम कर ले , तेरी ताक़त जहां तक है ,
वफा की उम्मीद , जिन्हे होगी - उन्हे होगी ...
हमे तो देखना है , तू ज़ालिम कहाँ तक है !!
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