मेरे पड़ोस में एक बारह
साल की बच्ची रहती है।
पहले उसके व्यवहार से मुझे लगता था की काफी उद्दण्ड और घमंडी है वो।
उसके पापा साधारण सी कोई नौकरी करते है।पर उसकी हर ईच्छा को जरुर पूरी करते है।
काफी मन्नतो के बाद उनके घर संतानहुआ था। एक बार उसने अपने घर में नई चप्पल के लिये बखेरा खड़ा कर दिया। उसके पापा की आज ही सैलरी मिली थी।
पापा ने काफी खुबसुरत चप्पल लाकर उसे दी। चप्पल लेकर वो काफी खुश थी। उस दिन उसने चप्पल पहन के खुब उछल-कुद की। पर अगले दिन आश्चर्य चकित रह गया मैं,जब वो अपनी माँ से कह रही थी की ये नई चप्पल मैँ नहीं पहनुंगी, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। पुराना वाला ही ठिक है।
सुनकर थोड़ा गुस्सा आया मुझे, फिर शाम को कड़े शब्दो में पूछा की जब चप्पले नहीं पहननी थी,तो इतनी महँगी क्यों खरीदवाई?? और एक दिन पूरा पहन के क्यों घुमी?? अब तो वापस भी नही हो सकता ये चप्पल! मेरी बात सुनके वो हँसने लगी बोलीकी, बुद्धु रह जाओगे भैया। वो तो मम्मी की चप्पल घिस गई थी, नई चप्पल अपने लिये खरीदवा नहीं रही थी। वो तो सारा प्यार मुझ पे लुटा देना चाहती है। बस मै बहाने से चप्पल खरीदवा के पहन ली। और इसलिये घुमी की दुकान वाले को वापिस ना किया जा सके। अब मम्मी उस चप्पल को पहन के कहीं भी आ,जा सकेंगी। इतनी कम उम्र मे माँ के लिये इतनी प्यारी सोच देख के मैं दंग रह गया। सच माँ- बेटी का रिश्ता अनमोल है |
पहले उसके व्यवहार से मुझे लगता था की काफी उद्दण्ड और घमंडी है वो।
उसके पापा साधारण सी कोई नौकरी करते है।पर उसकी हर ईच्छा को जरुर पूरी करते है।
काफी मन्नतो के बाद उनके घर संतानहुआ था। एक बार उसने अपने घर में नई चप्पल के लिये बखेरा खड़ा कर दिया। उसके पापा की आज ही सैलरी मिली थी।
पापा ने काफी खुबसुरत चप्पल लाकर उसे दी। चप्पल लेकर वो काफी खुश थी। उस दिन उसने चप्पल पहन के खुब उछल-कुद की। पर अगले दिन आश्चर्य चकित रह गया मैं,जब वो अपनी माँ से कह रही थी की ये नई चप्पल मैँ नहीं पहनुंगी, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। पुराना वाला ही ठिक है।
सुनकर थोड़ा गुस्सा आया मुझे, फिर शाम को कड़े शब्दो में पूछा की जब चप्पले नहीं पहननी थी,तो इतनी महँगी क्यों खरीदवाई?? और एक दिन पूरा पहन के क्यों घुमी?? अब तो वापस भी नही हो सकता ये चप्पल! मेरी बात सुनके वो हँसने लगी बोलीकी, बुद्धु रह जाओगे भैया। वो तो मम्मी की चप्पल घिस गई थी, नई चप्पल अपने लिये खरीदवा नहीं रही थी। वो तो सारा प्यार मुझ पे लुटा देना चाहती है। बस मै बहाने से चप्पल खरीदवा के पहन ली। और इसलिये घुमी की दुकान वाले को वापिस ना किया जा सके। अब मम्मी उस चप्पल को पहन के कहीं भी आ,जा सकेंगी। इतनी कम उम्र मे माँ के लिये इतनी प्यारी सोच देख के मैं दंग रह गया। सच माँ- बेटी का रिश्ता अनमोल है |
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